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Premnath Dar

आख़…थू

इंसान, इंसान को ही मार देता है, मूर्खतापूर्ण कारणों से और वीभत्स रूपों में, लेकिन फिर भी खुद को संवेदनशील दिखाने की कोशिश करता है.. इस बात का बोध इस कहानी के नायक को तब होता है जब वह मछली खाने बैठता है और देखता है कि उस मछली के मुँह के दूसरी तरफ एक पूरी दूसरी दुनिया है और उस दुनिया में प्रवेश भी कर जाता है! उस दुनिया में उसके साथ क्या-क्या होता है, पढ़िए प्रेमनाथ दर की कहानी 'आख़..थू' में..!
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