Tag: Premchand’s Children Literature
मिट्ठू
आज भी गली-मोहल्लों में गली में रहने-फिरने वाले जानवरों को परेशान करते लोग मिल जाएंगे.. यह आम दिन की बात है, जबकि होली और दिवाली जैसे त्योहारों पर तो ये जानवर दूसरी ही दुनिया ढूँढने लगते हैं.. ऐसा इसलिए होता है कि बच्चों को उनके बचपन से ही जानवरों से स्नेह, दया और लगाव जैसे भाव रखना नहीं सिखाया गया.. उन्होंने हमेशा अपने बड़ों को जानवरों को दुत्कारते ही देखा..
ऐसे में प्रेमचंद की यह कहानी अगर आप अपने घर के बच्चों को पढाएंगे या सुनाएंगे तो शायद उनके मन में से जानवरों के प्रति भय और घिन्न थोड़ी दूर हो!