Tag: Premshankar Raghuvanshi

Village, Farmer

गूँजे कूक प्यार की

जिस बरगद की छाँव तले रहता था मेरा गाँव वह बरगद ख़ुद घूम रहा अब नंगे-नंगे पाँव। रात-रात भर इस बरगद से क़िस्से सुनते थे गली, द्वार, बाड़े...
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