Tag: Propose

Flower, Peace, War, Love

तुम फिर आना

मेरी आँखें भर गयी हैं बारूदों से उठते ग़ुबार से मानवता संस्कृति धर्म साहित्य की चिताएँ धधक रहीं हैं मैं देख नहीं पा रही समय के इस पार या उस पार ऐसे...
Jaishankar Prasad

मेरी आँखों की पुतली में

मेरी आँखों की पुतली में तू बनकर प्रान समा जा रे! जिससे कण-कण में स्पंदन हों मन में मलायानिल चंदन हों करुणा का नव अभिनन्दन हों वह जीवन गीत...
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