Tag: Propose
तुम फिर आना
मेरी आँखें भर गयी हैं
बारूदों से उठते ग़ुबार से
मानवता संस्कृति धर्म साहित्य
की चिताएँ धधक रहीं हैं
मैं देख नहीं पा रही
समय के इस पार या
उस पार
ऐसे...
मेरी आँखों की पुतली में
मेरी आँखों की पुतली में
तू बनकर प्रान समा जा रे!
जिससे कण-कण में स्पंदन हों
मन में मलायानिल चंदन हों
करुणा का नव अभिनन्दन हों
वह जीवन गीत...