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आदि संगीत
'Aadi Sangeet', a poem by Pushpendra Pathak
पता है?
हवा और पेड़
शाश्वत प्रेमी हैं
योगियों-से ध्यानस्थ वृक्ष
बुलाएँ न बुलाएँ
चूमती हैं हवाएँ उन्हें
झकझोरती हैं
नचाती भी
उठा ले जाती हैं
सूखें...
ओ सुहागिन
ओस की बूँदों में घुलकर
एक पेड़ की पत्तियों से
टपक रहे हैं
चाँद,
कुछ तारे
धीरे-धीरे
तुम्हारे होंठों पर।
हल्के हौले कड़क कर
कुछ भीगी
कुछ मुलायम
कुछ शुष्क पत्तियाँ
अपना स्पर्श बाँट रही...
बरखा
एक शाम
घर की बालकनी से एक लड़की
मदहोश होकर
देख रही थी चुपके से
अपने महबूब को घटाओं में भीगते हूए
मैंने देखा उस लड़की ने
दोनों मुट्ठी बाँध
आँखें...
कविता क्या है?
किसी बच्चे की आत्मा को
रोककर ग्यारह की आयु में
दी जाए उसे तीस बरस की हँसी
बीस बरस की नवयौवना बादामी आँखें
शिवत्व की ओर बढ़ती जटाओं...