Tag: Rahul Boyal

Rahul Boyal

इन स्मृतियों को सहेज लो

"इन स्मृतियों को सहेज लो, एक दिन ये कहीं अधिक दीप्त होंगी" इतना ही कहा था तुमने और मुझे वक़्त की बेरहमी का अंदाज़ा हो गया इसलिए जितना...
Rahul Boyal

जब तुम समझने लगो ज़िन्दगी

वो जहाँ पर मेरी नज़र ठहरी हुई है वहाँ ग़ौर से देखो तुम तुम भी वहाँ हो मेरे साथ मेरे दाएँ हाथ की उँगलियों में उलझी हुई हैं...
Rahul Boyal

एक ही दृश्य में खोए हुए दो लोग

एक ही दृश्य में खोए हुए दो लोग कुछ पल के लिए अदृश्य हो जाना चाहते थे दुनिया के लिए उस अकेले दृश्य में बींध दिए जाने के स्वप्न...
Rahul Boyal

मैं शब्द खो दूँगा एक दिन

मैं शब्द खो दूँगा एक दिन एक दिन भाषा भी चुक जाएगी मेरी मैं बस सुना करूँगा तुम्हें कहूँगा कुछ नहीं जबकि याद आएगी तुम्हारी हो जाऊँगा बरी अपने आप से तुम भी...
Abstract, Head, Human

कविताएँ: दिसम्बर 2020

इतनी कम यात्राएँ क्यों वह दुःस्वप्न के बाद टूटी हुई नींद थी फिर नहीं आयी मैं थके हुए किसी सूरज की तरह हो गया जिसे बादलों की माँद...
Rahul Boyal

कविताएँ: अगस्त 2020

सहूलियत मुझे ज़िन्दगी के लिए सारी सहूलियत हासिल हुई मगर ज़िन्दगी— उसका कुछ अता-पता न था! जो था इस जिस्म की नौ-नाली में वह विज्ञान की दृष्टि से क़तई...
Rahul Boyal

अन्तर्विरोधों का हल

तुम्हारे हाथों में थमे हुए ये धर्म-ध्वज तुम्हारे होंठों पर चीख़ते हुए ये नारे तुम्हारी चेतना में बैठे हुए भय के प्रतीक हैं मैं प्रेम में तुम्हें...
Rahul Boyal

शिशुओं का रोना

'Shishuon Ka Rona', a poem by Rahul Boyal मेरी दृष्टि में सभी शिशुओं के रोने का स्वर तक़रीबन एक जैसा होता है और हँसने की ध्वनि भी लगभग...
Rahul Boyal

संक्रमण काल

'Sankrman Kaal', a poem by Rahul Boyal संक्रमण से जूझते हुए देश के लिए सरकार के पास नहीं है कोई योजना, न कोई टीकाकरण कार्यक्रम किया गया है तय, दो भिन्न...
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