Tag: Ramdhari Singh Dinkar

Dinkar - D H Lawrence, Aatma Ki Aankhein

ईश्वर की देह

किताब 'आत्मा की आँखें' से कविता: डी एच लॉरेंस अनुवाद: रामधारी सिंह दिनकर ईश्वर वह प्रेरणा है, जिसे अब तक शरीर नहीं मिला है। टहनी के भीतर अकुलाता हुआ फूल, जो...
Ramdhari Singh Dinkar

तुम क्यों लिखते हो

तुम क्यों लिखते हो? क्या अपने अन्तरतम को औरों के अन्तरतम के साथ मिलाने को? अथवा शब्दों की तह पर पोशाक पहन जग की आँखों से अपना रूप...
Ramdhari Singh Dinkar

भगवान के डाकिए

पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं— हम तो समझ नहीं पाते हैं मगर उनकी लायी चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और...
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