Tag: Ranjita
सखी मोरे पिया घर ना आये
जेठ की भरी दोपहर सबकी नज़रों से छुपाकर सुखाती हूँ... मन!
उल्टा-सीधा, अन्दर-बाहर, ऊपर-नीचे सब तरफ़, रूबिक क्यूब जैसा, हर लेयर पर, हर रंग पर...
क्षणिकाएँ
अमलतास
हथेली पर रखा अमलतास महकता है, तुम-सा
तुमने तो कहा था कि यह मौसमी फूल है और खिलता है मौसम भर
महकता भी सिर्फ़ मौसम भर
पीला, ख़ूब पीला -...
तारीख़ों का सफर
'Tareekhon Ka Safar', a poem by Ranjeeta
तुम्हें सोचकर
आँखों में जो मौसम उतरता है
उसे सिर्फ़ 'आई मिस यू' बुदबुदाकर टाला नहीं जा सकता
उसके लिए
चलना पड़ता है...
तुम्हारी हथेली का चाँद
इस घुप्प घने अँधेरे में
जब मेरी देह से एक-एक सितारा निकलकर
लुप्त हो रहा होता है आसमान में
तुम्हारी हथेली का चाँद,
चुपके-से चुनता है,
वो एक-एक सितारा...
विश्व साहित्यकारों के कुछ चुनिंदा उद्धरण
"उसका हाथ थामना ऐसा था जैसे किसी तितली को पकड़ना या फिर धड़कनों को थाम लेना
सम्पूर्ण और जीवंत..."
- रेनबो रॉवेल
"उंगली पर गिने जा सके...
कदम्ब
'Summer in Calcutta : Radha-Krishna' - Kamla Das
अनुवाद: ₹anjita
यह नदी, यह पुराना कदम्ब
आज, इसी क्षण से हमारा और सिर्फ हमारा होगा
हमारी भौतिक उपस्थिति के ऐलान...
लाइटहाउस
अगर होता एक lighthouse उनके लिए, जो भटके हैं, ख़ुद से
एक lighthouse अपनी रूह के लिए
जो हर रोज़, दिन ढले बता जाता,
रास्ता वापसी का... ख़ुद तक!
लिलीज़
कई-कई बार ये फूल नहीं लगते
ये लगते हैं -
तुम्हारा मौन
तुम्हारा संवाद
तुम्हारी आँखें
तुम्हारी ऊँगलियाँ
कई बार मैं इन्हें उगा लेना चाहती हूँ, अपने मन की चारदीवारी...
अमलतास
ऐसे लम्हे जब कह नहीं पाते तुम्हारा नाम... लेकिन वो होठों के अलावा हर जगह लिखा होता है, आंखों में, उंगलियों में, दिल में,...
सम्भावनाएँ
सम्भावनाएँ अनंत थीं
अगर रुक पाते...
जैसे तुम मेरे चेहरे पे गिर आये बालों को कान के पीछे 'टक' कर देते, हल्के हाथों से
जैसे तुम कुछ...
सिर्फ तुम्हें सोचा
हर एक बार..
कुछ मिनट पहले या महीनों पहले
किताबों में, इशारों में
या समंदर में, कि पहाड़ों में
किसी की आँखो में या किसी की बातों में
देश में,...
विस्मय
समूचे अस्तित्व का विस्मय भरकर, जब मैं तुम्हे देखता हूँ
सोचता हूँ,
क्या जीवन इसी को कहते हैं...