Tag: Ravindra Kalia

Ravi Katha - Mamta Kalia

‘अन्दाज़-ए-बयाँ उर्फ़ रवि कथा’ : रवींद्र कालिया की स्मृति गाथा

किताब: 'अन्दाज़-ए-बयाँ उर्फ़ रवि कथा लेखिका: ममता कालिया टिप्पणी: देवेश पथ सारिया 'अन्दाज़-ए-बयाँ उर्फ़ रवि कथा' वरिष्ठ लेखिका ममता कालिया की सद्यःप्रकाशित किताब है, जिसमें उन्होंने अपने...
Ravindra Kalia

गौरैया

"जानती हो, मंदिर के कलश पर क्यों बैठी हैं?" "क्यों बैठी हैं?" "क्योंकि इन्होंने एक हिन्दू के घर जन्म लिया है। कुछ संस्कार जन्मजात होते हैं। यह अकारण नहीं है कि विश्राम के लिए इन्होंने मन्दिर को चुना है।" "फितूर भर गया है तुम्हारे दिमाग में।" पत्नी बिफर गई, "अभी थोड़ी देर पहले मैंने देखा था, तीनों मस्जिद के गुम्बद पर बैठी थीं। अज़ान के स्वर उठे तो मन्दिर पर जा बैठीं। लाउड-स्पीकर का कमाल है यह।"
Ravindra Kalia

नौ साल छोटी पत्नी

"मैं हर बार भूल जाता हूँ।" कुशल ने हँसते हुए कहा, "तुम्हारे ब्याह में सबसे अलग-थलग खड़ा जिस ढंग से रो रहा था, उससे तो मैंने अनुमान लगाया था कि जरूर मेरा रक़ीब होगा।" "रक़ीब के मानी क्या होता है?" तृप्ता ने तुरन्त पूछा। "अरबी में बुआ के लड़के को रक़ीब कहते हैं।" कुशल ने कहा और कंधे पर तौलिया रख कर बाथरूम में चला गया।
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)