Tag: Restaurant
रेस्तोराँ
रेस्तोराँ में सजे हुए हैं कैसे-कैसे चेहरे
क़ब्रों के कत्बों पर जैसे मसले-मसले सहरे
इक साहिब जो सोच रहे हैं पिछले एक पहर से
यूँ लगते हैं...
एक प्लेट सैलाब
मई की साँझ!
साढ़े छह बजे हैं। कुछ देर पहले जो धूप चारों ओर फैली पड़ी थी, अब फीकी पड़कर इमारतों की छतों पर सिमट...