Tag: Riya Gupta
भुला दोगे?
प्रीत मेरी ठुकरा दोगे,
पाषाण फिर बना दोगे?
क्षण भर कभी जिया होगा,
एहसास मेरा मिटा दोगे?
चौखट पर तेरी बीत गई,
मेरी आधी उम्र, लौटा दोगे?
दर्पण की चाह...
इश्क़ की कहानी
बहुत थी खामियां तुझमें, बहुत नादानियां मुझमें
कलम को मैं मना भी लूं तो स्याही रूठ जायेगी।
कोई सैलाब अब अंदर उमड़ता भी नहीं मेरे
न अब...
तुम कविताएँ पढ़ते तो
मेरी कविताओं का चेहरा, दुल्हन की छवि जैसा होता,
जो नयन तेरे इनको पढ़ते, जीवन श्रंगार मिला होता।
होंठो से तुम जब छू लेते, ये अमरगीत...
एक तरफा प्रेम
एकतरफा प्रेम उस पौधे की तरह है जिसे पोषित करके स्वयं ही उसकी हत्या करनी पड़ जाए या स्वयं की।
प्रेम की हत्या क्या सम्भव है?
वास्तव...
कमाल आंखें
पढ़ती थी शक्ल-सूरतें, कमाल थी आंखें,
औंधे मुंह गिर पड़ी हैं, होशियार सी आंखें।
जंचती नहीं काजल में भी, उदास ये आंखें,
चुपचाप हो गई हैं, वाचाल...
आँखें
नासमझ, पागल, ये गंवार सी आँखें,
सड़कों पे खोजती हैं, निहारती आँखें,
रहता नहीं शहर में, हैं जानती आँखें,
उसको तलाशती हैं, इश्तहार सी आँखें,
नालों के खारेपन...
मोहब्बत की जमापूंजी
मोहब्बत की जमापूंजी से सिक्के भर बचा लेना
रहे जज़्बात न बाकी बड़ी मुश्किल में आओगे।
जफ़ा के रास्तों में मिल रहे कमरे किराये के
वफ़ा के तंग गलियारे...
प्रहेलिका
ज़हन में तेरे उलझे, सुलझ जाऐ 'प्रहेलिका'
कुछ यकीन दिला, कोई कवायद तो कर।
तब्दील 'घर में' 'दिल का मकां' कर जाऐ,
तू ईंटो की, पत्थरों की,...