Tag: Sab Kuchh Hona Bacha Rahega
जाते-जाते ही मिलेंगे लोग उधर के
जाते-जाते ही मिलेंगे लोग उधर के
जाते-जाते जाया जा सकेगा उस पार
जाकर ही वहॉं पहुँचा जा सकेगा
जो बहुत दूर सम्भव है
पहुँचकर सम्भव होगा
जाते-जाते छूटता रहेगा पीछे
जाते-जाते बचा...
प्रेम की जगह अनिश्चित है
'Prem Ki Jagah Anishchit Hai', a poem by Vinod Kumar Shukla
प्रेम की जगह अनिश्चित है
यहाँ कोई नहीं होगा की जगह भी नहीं है
आड़ की...
सबसे ग़रीब आदमी की
"सबसे गरीब बीमार आदमी के लिए
सबसे सस्ता डॉक्टर भी
बहुत महंगा है..।"