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बाईस गज में सिमटे चौबीस वर्ष
"इंग्लैंड के दौरे से सचिन अपने पिता की शवयात्रा में भाग लेने लौटे और चिता के ठंडा होने के पहले शेष दौरा पूरा करने इंग्लैंड लौटे। अपने काम को इस तरह निभाने को जीवन का धर्म कहते हैं। सड़कों पर हुड़दंग करना धर्म नहीं है।"