Tag: Sahir Ludhianvi
ख़ून फिर ख़ून है
ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है, बढ़ता है तो मिट जाता है
ख़ून फिर ख़ून है, टपकेगा तो जम जाएगा
ख़ाक-ए-सहरा पे जमे या कफ़-ए-क़ातिल पे जमे
फ़र्क़-ए-इंसाफ़ पे...
इंसाफ़ का तराज़ू जो हाथ में उठाए
इंसाफ़ का तराज़ू जो हाथ में उठाए
जुर्मों को ठीक तोले
ऐसा न हो कि कल का इतिहासकार बोले
मुजरिम से भी ज़ियादा
मुंसिफ़ ने ज़ुल्म ढाया
कीं पेश...
ये दुनिया दो-रंगी है
ये दुनिया दो-रंगी है
एक तरफ़ से रेशम ओढ़े, एक तरफ़ से नंगी है
एक तरफ़ अंधी दौलत की पागल ऐश-परस्ती
एक तरफ़ जिस्मों की क़ीमत रोटी...
चकले (जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं)
ये कूचे, ये नीलाम घर दिलकशी के
ये लुटते हुए कारवाँ ज़िन्दगी के
कहाँ हैं, कहाँ हैं मुहाफ़िज़ ख़ुदी के
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं
ये पुर-पेच गलियाँ, ये बे-ख़्वाब बाज़ार
ये...
मैं पल दो पल का शायर हूँ
मैं पल दो पल का शायर हूँ, पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है, पल दो पल मेरी जवानी है
मुझसे पहले कितने...
यह कहानी नहीं
अमृता प्रीतम की आत्मकथा 'अक्षरों के साये' से
पत्थर और चूना बहुत था, लेकिन अगर थोड़ी-सी जगह पर दीवार की तरह उभरकर खड़ा हो जाता,...
मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़
हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़
गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही
ज़ालिम को जो न रोके वो शामिल है ज़ुल्म...
औरत ने जनम दिया मर्दों को
औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला, जब जी चाहा धुत्कार दिया
तुलती है कहीं दीनारों में,...
इंतिज़ार
चाँद मद्धम है, आसमाँ चुप है
नींद की गोद में जहाँ चुप है
दूर वादी में दूधिया बादल
झुक के पर्वत को प्यार करते हैं
दिल में नाकाम हसरतें...
मैंने जो गीत तेरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे
'Maine Jo Geet Tere Pyar Ki Khatir'
a nazm by Sahir Ludhianvi
मैंने जो गीत तेरे प्यार की ख़ातिर लिक्खे
आज उन गीतों को बाज़ार में ले...