Tag: Sajal Dubey

तुम्हारे लिए

एक ख़त लिखने बैठा था तुम्हें, बस एक ख़त जो बेशक़ बिलकुल खाली हो पर उस खालीपन में सुक़ून हो, जो बेशक़ तुम्हें समझ ना आए पर उस नासमझी में सुकून हो। बस...

और तुम…

और आज... ऐसी ही एक और शाम उन हवाओं को साथ लिए ढल गयी थी। कहने को तो खोया नहीं था कुछ, मैंने, सिवाय उन हवाओं के, वो हवाएं जो शांत थीं अबतक, हम...
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