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शंकरानंद की कविताएँ
'पदचाप के साथ' कविता संग्रह से
बल्ब
इतनी बड़ी दुनिया है कि
एक कोने में बल्ब जलता है
दूसरा कोना अन्धेरे में डूब जाता है,
एक हाथ अन्धेरे में हिलता है
दूसरा...
समन्दर
स्त्री
सिर्फ़ नमक नहीं
कि मनमाफ़िक इस्तेमाल कर
बन्द कर डिब्बे में
सजा दी जाए
रसोई के किसी कोने में
खाने की किसी टेबल पर।
वह
लहराता समन्दर है
असीम सम्भावनाओं का
पनपते हैं जहाँ
अनमोल...