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Shankaranand

शंकरानंद की कविताएँ

'पदचाप के साथ' कविता संग्रह से बल्ब इतनी बड़ी दुनिया है कि एक कोने में बल्ब जलता है दूसरा कोना अन्धेरे में डूब जाता है, एक हाथ अन्धेरे में हिलता है दूसरा...
Girl, Woman, Village

समन्दर

स्त्री सिर्फ़ नमक नहीं कि मनमाफ़िक इस्तेमाल कर बन्द कर डिब्बे में सजा दी जाए रसोई के किसी कोने में खाने की किसी टेबल पर। वह लहराता समन्दर है असीम सम्भावनाओं का पनपते हैं जहाँ अनमोल...
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