Tag: Sanjay Mani Tripathi
मजदूर की कहानी
मजदूर का है खेल निराला,
बहे पसीना और हाथ में प्याला॥
तन जो भिगा, और भीगा ये मन,
सनी हुई पसीने में ये कफन,
टपकती बूँद जो गिरे है...
सोमरस की विकृत
मधुर सुरा संग संगम नीर,
अधर छुवत होवे मन वीरI
सुखद समाहित नयन फ़कीर,
प्रभा बिखेरत चन्द्र समीरI
चिरायु होत सृजन क्रिपान्कर,
नभ आलोकिक सुन्दर धराधरI
मन भ्रमित, उल्लास के...
सत्ता की अभिलाषा
सत्ता की अभिलाषा में,
रणभेरी अब गूँज उठी है।
शंखनाद का नाद बज रहा,
सभी दिशायें गूँज रही हैं।
लहूलुहान होते नर-नारी ,
नारों का अब सम्मान जा रहा।
कोई किसी...