Tag: Sara Shagufta

Aankhein - Sara Shagufta

पहला हर्फ़

पाकिस्तानी शायरा सारा शगुफ़्ता की नज़्मों का पहला संग्रह 'आँखें' उनकी मृत्यु के बाद सन् 1985 में प्रकाशित हुआ था। हाल ही में इसी...
Sara Shagufta

क़र्ज़

मेरा बाप नंगा था मैंने अपने कपड़े उतार उसे दे दिए ज़मीन भी नंगी थी मैंने उसे अपने मकान से दाग़ दिया शर्म भी नंगी थी, मैंने उसे अपनी...
Sara Shagufta

औरत और नमक

इज़्ज़त की बहुत-सी क़िस्में हैं घूँघट, थप्पड़, गन्दुम इज़्ज़त के ताबूत में क़ैद की मेख़ें ठोंकी गई हैं घर से लेकर फ़ुटपाथ तक हमारा नहीं इज़्ज़त हमारे गुज़ारे...
Sara Shagufta

मौत की तलाशी मत लो

बादलों में ही मेरी तो बारिश मर गई अभी-अभी बहुत ख़ुश-लिबास था वो मेरी ख़ता कर बैठा कोई जाए तो चली जाऊँ कोई आए तो रुख़्सत हो जाऊँ मेरे...
Sara Shagufta

परिंदे की आँख खुल जाती है

किसी परिंदे की रात पेड़ पर फड़फड़ाती है रात, पेड़ और परिंदा अँधेरे के ये तीनों राही एक सीध में आ खड़े होते हैं रात अँधेरे में फँस...
Sara Shagufta

शायद मिट्टी मुझे फिर पुकारे

सुन दरिया अपनी मुट्ठी खोल रहा है सुन कुछ पत्ते और पत्तों के साथ कुछ हवा उखड़ गई है जंगल के पेड़ इरादे ज़मीन को बोसा दे रहे हैं चाहते...
Sara Shagufta

साए की ख़ामोशी

साए की ख़ामोशी सिर्फ़ ज़मीन सहती है खोखला पेड़ नहीं या खोखली हँसी नहीं और फिर अंजान अपनी अनजानी हँसी में हँसा क़हक़हे का पत्थर संग-रेज़ों में...
Sara Shagufta

चाँद का क़र्ज़

हमारे आँसुओं की आँखें बनाई गईं हम ने अपने-अपने तलातुम से रस्सा-कशी की और अपना-अपना बैन हुए सितारों की पुकार आसमान से ज़ियादा ज़मीन सुनती है मैंने मौत...
Sara Shagufta

परिंदा कमरे में रह गया

रात ने जब घड़ियों से वक़्त उठा लिया घंटी की तेज़ आवाज़ ने सारे पर्दों का रंग उड़ा दिया कमरे में चार आदमियों ने अपनी-अपनी साँसें...
Sara Shagufta

कैसे टहलता है चाँद

कैसे टहलता है चाँद आसमान पे जैसे ज़ब्त की पहली मंज़िल आवाज़ के अलावा भी इंसान है आँखों को छू लेने की क़ीमत पे उदास मत हो क़ब्र...
Sara Shagufta

बदन से पूरी आँख है मेरी

'Badan Se Poori Aankh Hai Meri', a nazm by Sara Shagufta जाओ जा-नमाज़ से अपनी पसंद की दुआ उठा लो हर रंग की दुआ मैं माँग...
Sara Shagufta

शैली बेटी के नाम

तुझे जब भी कोई दुःख दे इस दुःख का नाम बेटी रखना जब मेरे सफ़ेद बाल तेरे गालों पे आन हँसें, रो लेना मेरे ख़्वाब के दुःख पे सो लेना जिन खेतों...
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