Tag: Sardar Puran Singh

sardar puran singh

मज़दूरी और प्रेम

हल चलाने वाले का जीवन गड़रिये का जीवन मज़दूर की मज़दूरी प्रेम-मज़दूरी मज़दूरी और कला मज़दूरी और फकीरी समाज का पालन करने वाली दूध की धारा पश्चिमी सभ्यता का एक नया...
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पश्चिमी सभ्यता का एक नया आदर्श

पश्चिमी सभ्यता मुख मोड़ रही है। वह एक नया आदर्श देख रही है। अब उसकी चाल बदलने लगी है। वह कलों की पूजा को...
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समाज का पालन करने वाली दूध की धारा

"जब हमारे यहाँ के मज़दूर, चित्रकार तथा लकड़ी और पत्थर पर काम करने वाले भूखों मरते हैं तब हमारे मंदिरों की मूर्तियाँ कैसे सुंदर हो सकती हैं?"
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मज़दूरी और फ़क़ीरी

"टाल्सटाय का त्याग और जूते गाँठना, उमर खैयाम का प्रसन्नतापूर्वक तंबू सीते फिरना, गुरु नानक और भगवान श्रीकृष्ण का कूक पशुओं को लाठी लेकर हाँकना - सच्ची फ़क़ीरी का अनमोल भूषण है।"
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मज़दूरी और कला

"यह नया साहित्य मज़दूरों के हृदय से निकलेगा। उन मज़दूरों के कंठ से यह नई कविता निकलेगी जो अपना जीवन आनंद के साथ खेत की मेड़ों का, कपड़े के तागों का, जूते के टाँकों का, लकड़ी की रगों का, पत्थर की नसों का भेदभाव दूर करेंगे।"
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प्रेम-मज़दूरी

"मेरा विश्वास है कि जिस चीज में मनुष्य के प्यारे हाथ लगते हैं, उसमें उसके हृदय का प्रेम और मन की पवित्रता सूक्ष्म रूप से मिल जाती है और उसमें मुर्दे को जिंदा करने की शक्ति आ जाती है।"
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मज़दूर की मज़दूरी

आपने चार आने पैसे मज़दूर के हाथ में रखकर कहा - "यह लो दिन भर की अपनी मज़दूरी।" वाह क्या दिल्लगी है!
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गड़रिये का जीवन

"प्रकृति की मंद-मंद हँसी में ये अनपढ़ लोग ईश्वर के हँसते हुए ओंठ देख रहे हैं। पशुओं के अज्ञान में गंभीर ज्ञान छिपा हुआ है। गड़रिये के परिवार की प्रेम-मजदूरी का मूल्य कौन दे सकता है?"
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हल चलाने वाले का जीवन

'Hal Chalaane Wale Ka Jeewan', an essay by Sardar Puran Singh हल चलाने वाले और भेड़ चराने वाले प्रायः स्वभाव से ही साधु होते हैं।...
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आचरण की सभ्यता

विद्या, कला, कविता, साहित्‍य, धन और राजस्‍व से भी आचरण की सभ्‍यता अधिक ज्‍योतिष्‍मती है। आचरण की सभ्‍यता को प्राप्‍त करके एक कंगाल आदमी...
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