Tag: Satire
छिपाने को छिपा जाता
कल रात मेरे कॉलेज के छात्रों ने मुझे पीट दिया। यों मेरी पिटाई तो ज़्यादा नहीं हुई, लेकिन ज़्यादा हो जाती, शौहरत तब भी...
पिटाई विमर्श में शान्तिदूत : ‘स्वाँग’ से किताब अंश
'स्वाँग' ज्ञान चतुर्वेदी का नया उपन्यास है, एक गाँव के बहाने समूचे भारतीय समाज के विडम्बनापूर्ण बदलाव की कथा इस उपन्यास में दिलचस्प ढंग...
दो आदमी पुराने
कुछ दिन हुए, रामानंदजी और राकेशजी अपने-अपने पेशे से रिटायर होकर सिविल लाइंस में बस गए थे। अपने यहाँ का चलन है कि रिटायर...
अपील का जादू
एक देश है! गणतंत्र है! समस्याओं को इस देश में झाड़-फूँक, टोना-टोटका से हल किया जाता है! गणतंत्र जब कुछ चरमराने लगता है, तो...
गर्व से कहो हम पति हैं
महिलाओं को मालूम है कि जिस तरह हर सफल पुरुष के पीछे कोई महिला होती है, उसी तरह हर असफल महिला के पीछे भी...
दावतों में शाइरी
दावतों में शाइरी अब हो गई है रस्म-ए-आम
यूँ भी शाइर से लिया जाता है अक्सर इंतिक़ाम
पहले खाना उसको खिलवाते हैं भूखे की तरह
फिर उसे करते...
मूल अधिकार?
क्या कहा—चुनाव आ रहा है?
तो खड़े हो जाइए
देश थोड़ा बहुत बचा है
उसे आप खाइए।
देखिए न,
लोग किस तरह खा रहे हैं
सड़के, पुल और फ़ैक्ट्रियों तक को पचा...
दिमाग़ वालों सावधान!
आदमी मज़बूत मगर मजबूर प्राणी है। कई नमूने हैं उसके। कुछ दिमाग़ वाले, कुछ बिना दिमाग़ के, कुछ पौन दिमाग़ के, कुछ पाव दिमाग़...
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी के उद्धरण | Mushtaq Ahmad Yusufi Quotes in Hindi
"दुश्मनी के लिहाज़ से दुश्मनों के तीन दर्जे होते है—दुश्मन, जानी दुश्मन और...
तीसरे दर्जे के श्रद्धेय
"लड़कियाँ बैठी थीं, जिनकी शादी बिना दहेज के नहीं होने वाली थी। और लड़के बैठे थे, जिन्हें डिग्री लेने के बाद सिर्फ सिनेमा-घर पर पत्थर फेंकने का काम मिलने वाला है।"
तब के नेता, अब के नेता
तब के नेता जन-हितकारी,
अब के नेता पदवीधारी।
तब के नेता किए कमाल,
अब के नित पहने जयमाल।
तब के नेता पटकावाले,
अब के नेता लटका वाले।
तब के नेता...
साँप ही तो हो
साँप,
दो-दो जीभें होने पर भी
भाषण नहीं देते?
आदमी न होकर भी
पेट के बल चलते हो
यार!
हम तुम्हारे फूत्कार से नहीं डरते
साँप ही तो हो,
भारत के रहनुमा...