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Tree Branch, No Leaf, Autumn, Sad, Dry, Dead

विकास की क़ीमत

'Vikas Ki Qeemat', a poem by Rachana वो कह रहे हैं कि हम विकसित हो रहे हैं बढ़ रहे हैं आगे चढ़ रहे हैं सीढ़ियाँ सभ्यता की दिन...
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