Tag: Secular

Om Purohit Kagad

धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र

स्वघोषित उद्देश्यों को प्रतीक मान मन चाहे कपड़ों से निर्मित ध्वज दूर आसमान की ऊँचाइयों में— फहराने भर से लोकतंत्र की जड़ें भला कैसे हरी रहेंगी? तुम शायद नहीं जानते भरे बादल को पेट...
Ganesh Shankar Vidyarthi

धर्म की आड़

इस समय, देश में धर्म की धूम है। उत्‍पात किये जाते हैं, तो धर्म और ईमान के नाम पर और ज़िद की जाती है,...
Zafar Ali Khan

मोहब्बत

कृष्ण आए कि दीं भर भर के वहदत के ख़ुमिस्ताँ से शराब-ए-मा'रिफ़त का रूह-परवर जाम हिन्दू को कृष्ण आए और उस बातिल-रुबा मक़्सद के साथ आए कि...
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