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Hariram Meena

हरिराम मीणा की क्षणिकाएँ – II

1 ठर्रा के पलीता ने आग लगा दी ग़ुस्से की भट्टी में मज़दूर ने पहली बार ज़ुबान खोली 'पल-पल का हिसाब लूँगा हरामियों से।' 2 लोकतंत्र में एक जम्बूरा ठोकतंत्र...
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