Tag: Shrikrishna Vishnoi

Dust, Woman

धूल और धुआँ

धूल! ठोकर खाती है, उड़ती है- फिर कहीं जाकर, बैठ जाती है- किसी बेवफा की तरह। पर धुआँ! घुटता है, उड़ता है, फिर कभी लौटकर नहीं आता- गये विश्वास की तरह।
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