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अफ़ग़ान लेखक रहनवर्द ज़रयाब की कहानी ‘निबन्ध’
कहानी: निबन्ध
लेखक: रहनवर्द ज़रयाब (Rahnaward Zaryab)
दारी से अंग्रेज़ी अनुवाद: डॉ. एस. वली अहमदी
हिन्दी अनुवाद: श्रीविलास सिंह
(रहनवर्द ज़रयाब का जन्म 1944 को क़ाबुल के...
फ़रवरी
फ़रवरी इतना बुरा भी नहीं है!
मैं यह समझ पाने में हमेशा असमर्थ रहा कि
आदिम सभ्यताओं को इस महीने से इतनी चिढ़ क्यों थी?
रोमन सभ्यता...
कविताएँ: दिसम्बर 2021
आपत्तियाँ
ट्रेन के जनरल डिब्बे में चार के लिए तय जगह पर
छह बैठ जाते थे
तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होती थी
स्लीपर में रात के समय...
संजय छीपा की कविताएँ
1
कुरेदता हूँ
स्मृतियों की राख
कि लौट सकूँ कविता की तरफ़
एक नितान्त ख़ालीपन में
उलटता-पलटता हूँ शब्दों को
एक सही क्रम में जमाने की
करता हूँ कोशिश
ज़िन्दगी की बेतरतीबी...
रुत
1
इधर उत्तरायण हुए सूर्य का मन
माघ जल के छींटों से तृप्त हुआ
और उधर गुलाबी सर्दी की तान ने
नायक जनवरी को फ़रवरी के प्रेम में...
चम्पई धूप
सब कुछ अपनी अनुकूलता संग
प्रतिकूलता में भी गतिमान रहे।
कोई हाथ पकड़कर रोकने की विवशता के
आयाम नहीं गढ़ सकता,
जिस प्रवाह में तुम आते हो
तुम्हारे लौटने...
फ़रवरी: वसन्त और प्रेम की कुछ कविताएँ
छोटा पीला फूल
जिन छोटे-छोटे फूलों का
हम नाम नहीं जानते
अवसाद के क्षणों में
घास, झाड़ी या पत्तियों में से
उँगली बढ़ा
वही हमें थाम लेते हैं
घास में उगे
उस पीले...
वसंत
1
लगता है आख़िरकार
वसंत ने भी शिशिर के आगे
आत्म-समर्पण करके
समझौता कर लिया है
जैसे कवियों ने नेताओं से।
तभी तो
पता नहीं लगता
वसंत कब आया, कब चलता बना
या...
उसने मुझे पीला रंग सिखाया
उसने मुझे पीला रंग सिखाया
और मुझे दिखायी दिए जीवन के धूसर रंगों के बीचोबीच
रू ब रू दो दहकते हुए पीले सूर्यमुखी
एक से दूसरे के...
वायरस की छाया में वसन्त
एक-एक पत्ता झड़ते हुए
दिन महीने वर्ष भी
झड़ते चले गए चुपचाप
फिर कभी अस्तित्व में थी
वह मधुर वासन्तिक गन्ध
क्या अभी भी बह रही थी
ठूँठ-सूखे पेड़ से
अपनी...
हाइवे पर बसन्त
'Highway Par Basant', a poem by Sonu Choudhary
नीले भरम के ठीक नीचे
मक्खन सड़क की रफ़्तार पर
पेनड्राइव की तीखी आवाज़ में
गानों के लिरिक्स
दार्शनिक की तरह
मेरे...
कैसे पता चला कि वसन्त आया
किसी कवि ने फ़रमाया
किसी ज्योतिष ने समझाया
किसी वैज्ञानिक
या किसान ने बताया
वसन्त आ गया
कैसे पता चला...!
तन से
मन से
जन से
या धन से
वसन्त आया...
कैसे पता चला!
दलितों की...