Tag: Story on mother

Giriraj Kishore

माँ आकाश है!

"आख़िरकार तुम मेरी उस एक ग़लती की कब तक सजा देते रहोगे। तुम्हारा मर्दाना अहंकार अपना बदला किस-किस तरह ले रहा है। मर्द की बात पत्नी एक बार मानने में कोताही कर दे तो वह रूप बदल-बदल कर उसे डसता है।" मर्द औरत को आज़ादी भी नाप-तोल कर देता है.. और दिखाने की कोशिश करता है कि तुम्हें आज़ादी तो पूरी है लेकिन यह लक्ष्मण रेखा जो मैंने खींच दी है उसे पार करोगी तो नुक्सान तुम्हारा ही है.. और उस नुक्सान को साबित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ता.. इसी बात को प्रकट करती है गिरिराज किशोर की यह कहानी.. पढ़िए!
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