Tag: Sudhanshu Raghuvanshi

तुमने नहीं सुनी थी?

मैंने आवाज़ तो दी थी। तुमने नहीं सुनी थी? ख़्वाब भी मुफ़लिसी के आते हैं आजकल आप थे तो ज़िंदगी कितनी हरी-भरी थी। मियां! उसके जाने के बाद.. कुछ...

ढीठ कौन – ‘मैं या स्याही’

कलम विद्रोह कर देती है जब भी, तुम्हारा ज़िक्र होने को होता है मेरी ग़ज़लों में, अफसानों में, नगमों में, शेरों मे कविताओं में, नज्मों में मानो अपनी...
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