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समीक्षा: ‘एक बटा दो’
किताब: 'एक बटा दो'
लेखिका: सुजाता
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
समीक्षा/टिप्पणी: महेश कुमार
स्त्री निर्मिति की विभिन्न चरणों की पड़ताल करके उससे बाहर निकलने का स्त्रीवादी विश्लेषण है 'एक...
यदि आप महिला हैं, और लिखती हैं, तो दो बातें होंगी
'आलोचना का स्त्री पक्ष' सुजाता को अस्मिता-विमर्श की संश्लिष्ट धारा की प्रतिनिधि के रूप में सामने लाती है। वह गहन शोध द्वारा इतिहास के...
सुजाता – ‘एक बटा दो’
सुजाता के उपन्यास 'एक बटा दो' से उद्धरण | Quotes from 'Ek Bata Do', a novel by Sujata
चयन: पुनीत कुसुम
"आवारा होने की चाह नदी...