Tag: Surya Ka Swagat

Dushyant Kumar

मापदण्ड बदलो

मेरी प्रगति या अगति का यह मापदण्ड बदलो तुम, जुए के पत्ते-सा मैं अभी अनिश्चित हूँ। मुझ पर हर ओर से चोटें पड़ रही हैं, कोपलें उग रही हैं, पत्तियाँ...
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