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हीरे का हीरा
आपने चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' तो शायद पढ़ी ही होगी और उसके पात्र लहनासिंह से भी परिचित होंगे। कहा जाता है कि गुलेरी की यह कहानी 'हीरे का हीरा', 'उसने कहा था' का अगला भाग है, जिसमें लहनासिंह की जंग के बाद घर वापसी दिखाई गयी है.. दुर्भाग्यवश गुलेरी इस कहानी को पूरा नहीं कर पाए थे, और डॉ. सुशील कुमार फुल्ल ने उनकी इस कहानी को परिणति तक पहुँचाया!
क्या आपको लगता है कि अगर गुलेरी यह कहानी पूरी लिखते तो यह इससे कुछ भिन्न होती?