Tag: Sushila Takbhore

Sushila Takbhore

अनुत्तरित प्रश्न

गूँजती है आवाज़ यदि किसी गहरे कुएँ से, अँधेरी गुफा से कुछ कहा जाए प्रतिउत्तर में ध्वनि गूँजती है। मगर तुम कभी जवाब नहीं देते मुझे नगण्य मानते हो या चाहते...
Sushila Takbhore

खोज की बुनियाद

यह रहस्य तो नहीं खोज की बुनियाद है आज फिर मैं उड़ने लगी हूँ बे-पर बंजर ज़मीन पर फूटे हैं अंकुर आस की दूब चरने लगा है मन का मिरग किस दिशा से बांधोगे तुम इसे काल का...
Abstract Painting of a woman, person from Sushila Takbhore book cover

आज की ख़ुद्दार औरत

तुमने उघाड़ा है हर बार औरत को मर्दो क्या हर्ज़ है इस बार स्वयं वह फेंक दे परिधानों को और ललकारने लगे तुम्हारी मर्दानगी को किसमें हिम्मत है जो उसे छू सकेगा? पिंजरे में...
Abstract Painting of a woman, person from Sushila Takbhore book cover

विद्रोहिणी

माँ बाप ने पैदा किया था गूँगा! परिवेश ने लंगड़ा बना दिया चलती रही निश्चित परिपाटी पर बैसाखियों के सहारे कितने पड़ाव आए! आज जीवन के चढ़ाव पर बैसाखियाँ चरमराती हैं अधिक बोध...

सिलिया

एक नेता ने अखबार में विज्ञापन दिया है कि वह एक शूद्र कन्या से विवाह करना चाहते हैं। सिलिया एक शूद्र कन्या है, उसके सब रिश्तेदार, सब पड़ोसी सिलिया की माँ को सिलिया की शादी उस नेता से करने के लिए कहते हैं। लेकिन सिलिया शादी नहीं करना चाहती.. सिलिया पानी पीना चाहती है.. कुँए से.. अपने दोस्तों के घरों पर.. जब जी चाहे..!
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