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एक दिन करेंगे बात केवल प्यार की
एक दिन करेंगे बात केवल प्यार की!
तुम कहोगे—रुको
तो मैं नहीं दिलाऊँगी याद
कि आठ बज गये हैं
चाँद चढ़ गया है
लौट जाओ घर तुम
कि तुम्हारे होने...
मर्दानगी
पहला नियम तो ये था कि औरत रहे औरत
फिर औरतों को जन्म देने से बचे औरत
जाने से पहले अक़्ल-ए-मर्द ने कहा ये भी—
मर्दों की...
बिट्टन बुआ
लकी राजीव की कहानी 'बिट्टन बुआ' | 'Bittan Bua', a story by Lucky Rajeev
बिट्टन बुआ का नाम 'बिट्टन' कैसे पड़ा इसके बारे में भी...
अम्बपालिका
'Ambapalika', one of the Historical Stories in Hindi by Acharya Chatursen Shastri
मुजफ़्फ़रपुर से पश्चिम की ओर जो पक्की सड़क जाती है, उस पर मुजफ़्फ़रपुर...
सास और बहू
'Saas Aur Bahu', Hindi Kahani by Rashid Jahan
लो आज सुबह से ही उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया।
ऐ बहन क्या पूछती हो कि तुम्हारी...
कहानी के बाहर एक अजनबी
"मैं अपने बाप की लिखी किताबें नहीं पढ़ता। उनका ग़ज़लों का संग्रह मेरी टेबल पर धरा रहता है। महीनों बीत जाते हैं। फिर मैं उसकी गर्द साफ कर देता हूँ और वैसे ही सजा देता हूँ। मुझे शायरी, कविताएँ समझ नहीं आतीं। इन ग़ज़लों में उनकी उस महबूबा का ज़िक्र है जो मेरी माँ नहीं है। असल में वह कोई भी नहीं है। अगर फ्रायड की माने तो यह सारी ग़ज़लें बस उनकी वह ख्वाहिशें हैं जो मेरी माँ पूरी नहीं कर सकीं। लेकिन मेरी निगाह में यह सरलीकरण उचित नहीं हैं। लोगों को समझना कुछ इतना आसान नहीं है। लोग अजीब होते हैं।"
त्रिशंकु
"अपने घर की किशोरी लड़की को छेड़ने वाले लड़कों को घर बुलाकर चाय पिलाई जाए और लड़की से दोस्ती करवाई जाए, यह सारी बात ही बड़ी थ्रिलिंग और रोमांचक लग रही थी।"
आधुनिक सोच रखना और उसे अपने व्यवहार में ढाल लेना दो अलग-अलग बातें हैं.. और इसका प्रमाण हम सबको अपने घरों में अक्सर देखने को मिलता है जब बातें तो बड़ी-बड़ी होती हैं लेकिन जब उन बातों पर अमल करने की बात आती है तो समाज और सोसाइटी सबसे बड़ा मुद्दा और भगवान् बन जाती है जिसके नियमों के विरुद्ध जाने का साहस हर किसी में नहीं होता! सोच और व्यवहार के इस अंतर का ही मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करती हैं मन्नू भंडारी अपनी इस कहानी 'त्रिशंकु' में! हिन्दी की एक उत्कृष्ट कहानी। पढ़िए!
भाभी
भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी। भैया की सूरत से ऐसी...
‘लस्ट स्टोरीज’: ‘प्रेम’ इज़ नो मोर अ हीरो, ‘लस्ट’ इज़!
भारतीय सिनेमा में प्रेम हमेशा से एक हीरो रहा है और वासना एक विलन। कोई हीरो वासना के वशीभूत होकर कोई काम करता नहीं...
खोल दो
'खोल दो' - सआदत हसन मंटो
अमृतसर से स्पेशल ट्रेन दोपहर दो बजे चली और आठ घंटों के बाद मुगलपुरा पहुंची। रास्ते में कई आदमी...
बू
बरसात के यही दिन थे। खिड़की के बाहर पीपल के पत्ते इसी तरह नहा रहे थे सागवन के स्प्रिन्गदार पलंग पर, जो अब खिड़की...
सैक्स फंड
'सैक्स फंड' - सुषमा गुप्ता
"आंटी जी चंदा इकठ्ठा कर रहें हैं। आप भी कुछ अपनी इच्छा से दे दीजिए।"
"अरे लड़कियों, ये काॅलेज छोड़ कर...