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Manmeet Soni

मन्दिर

'Mandir', poems by Manmeet Soni 1 यह ताली बजा-बजाकर नाचने की नहीं, बल्कि रो-रोकर अपना सिर फोड़ने की जगह थी जिन्हें अफ़सोस होता था अपने किए पर उन लोगों...
Fire, Riots, Curfew

सच यही है

'Sach Yahi Hai', a poem by Mohandas Naimishrai सच यही है मंदिर में आरती गाते हुए भी नज़दीक की मस्जिद तोड़ने की लालसा हमारे भीतर जागती रहती है और मस्जिद में...
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