Tag: Toofanon Ke Beech

Rangey Raghav

बाँध भाँगे दाओ

"लोग घर में मरते थे। बाज़ार में मरते थे। राह में मरते थे। जैसे जीवन का अन्तिम ध्येय मुट्ठी भर अन्न के लिए तड़प-तड़पकर मर जाना ही था।"
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