Tag: Traveller
कविताएँ: नवम्बर 2021
यात्री
भ्रम कितना ख़ूबसूरत हो सकता है?
इसका एक ही जवाब है मेरे पास
कि तुम्हारे होने के भ्रम ने
मुझे ज़िन्दा रखा
तुम्हारे होने के भ्रम में
मैंने शहर...
यायावर
जो अप्राप्य है मुझे
उसकी तलाश में भटकूँगा
ध्रुव की तरह स्थापित हो जाऊँगा किसी दिशा में
या नचिकेता की तरह
यात्रा से उत्तरोत्तर लौटूँगा
स्मृतियों की सतहें बनाऊँगा
एक...
निरुद्देश्य
'घुमक्कड़-शास्त्र' से
निरुद्देश्य का अर्थ है उद्देश्यरहित, अर्थात् बिना प्रयोजन का। प्रयोजन बिना तो कोई मंदबुद्धि भी काम नहीं करता। इसलिए कोई समझदार घुमक्कड़ यदि...
कहाँ अगला ठौर, राही?
मुँह अँधेरे चल पड़े हो
कहाँ अगला ठौर, राही?
कहाँ अगला मील का पत्थऱ
जो कह दे श्वास भर लो
कहाँ अगली मोड़ जिससे
पाँव पगडंडी पकड़ लें
और कितनी...