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पता
मैंने उसे ख़त लिखा था
और अब पते की ज़रूरत थी
मैंने डायरियाँ खँगालीं
किताबों के पुराने कबाड़ में खोजा
फ़ोन पर कई हितैशियों से पूछा
और हारकर बैठ...
बचपन में दुपहरी थी, बरगद देखता है
बचपन में दुपहरी थी
एक पेड़ था
एक चिड़िया थी
एक तालाब था
तीनों गाँव में थे
चिड़िया गाती थी
चिड़िया पेड़ में थी
पेड़ था तालाब में
तालाब दुपहरी में था
दुपहरी...
पंचतत्व (चींटी, तितली, पानी, गिलहरी और दरख़्त)
मेरे दोस्त
जब भी चलना
तो बाघ की तरह नहीं चलना
चलना चींटियों की तरह
सबके साथ बिना डरे, बिना थके,
बिना रुके, एकदम शान्त—केवल
अपने पथ पर
जब भी भरो...
कौतुक-कथा
धूप चाहती थी, बारिश चाहती थी, चाहते थे ठेकेदार
कि यह बेशक़ीमती पेड़ सूख जाए
चोर, अपराधी, तस्कर, हत्यारे, मंत्री के रिश्तेदार
फ़िल्म ऐक्टर, पुरोहित, वे सब जो...
तेरे वाला हरा
चकमक, जनवरी 2021 अंक से
कविता: सुशील शुक्ल
नीम तेरी डाल
अनोखी है
लहर-लहर लहराए
शोखी है
नीम तेरे पत्ते
बाँके हैं
किसने तराशे
किसने टाँके हैं
नीम तेरे फूल
बहुत झीने
भीनी ख़ुशबू
शक्ल से पश्मीने
नीम...
ईश्वर रे, मेरे बेचारे!
अपने सम्बन्ध में कुछ लिखने की बात मन में आते ही मन के पर्दे पर एक ही छवि 'फेड इन' हो जाया करती है...
अमरूद का पेड़
घर के सामने अपने आप ही उगते और फिर बढ़ते हुए एक अमरूद के पेड़ को मैं काफ़ी दिनों से देखता हूँ। केवल देखता...
भाषा
पृथ्वी के अन्दर के सार में से
फूटकर निकलती हुई
एक भाषा है बीज के अँकुराने की।
तिनके बटोर-बटोरकर
टहनियों के बीच
घोंसला बुने जाने की भी एक भाषा है।
तुम्हारे...
मूल
अमावस-सी अंधियारी रात्रियों में
टॉर्च की चुभती तीखी रोशनी में
पत्थर की चोट सहता
पत्थर जैसा ही आ गिरता है धरा पर
वो मूक स्तब्ध अमराई का आम,
बाट...
गोबिन्द प्रसाद की कविताएँ
आने वाला दृश्य
आदमी, पेड़ और कव्वे—
यह हमारी सदी का एक पुराना दृश्य रहा है
इसमें जो कुछ छूट गया है
मसलन पुरानी इमारतें, खण्डहरनुमा बुर्जियाँ और
किसी...
सिर्फ़ पेड़ ही नहीं कटते हैं
तुम परेशान हो
कि गुलमोहर सूख रहे हैं
पेड़ कट रहे हैं
चिड़ियाँ मर रही हैं
और इस शहर में बसन्त टिकता नहीं...
इस्पात की धमनियों में
जब तक आदमी
अपने...
ख़ूब रोया एक सूखा पेड़
'Khoob Roya Ek Sookha Ped', a poem by Pramod Tiwari
याद कर
अपनी सघन छाया,
ख़ूब रोया
एक सूखा पेड़
पेड़ जिसकी छाँव से
हारे-थके रिश्ते जुड़े,
पेड़ जिसकी देह से
होकर कई...