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इलाहाबादी
काफ़े रेस्त्राँ में हिलमिल कर बैठे। बातें
कीं; कुछ व्यंग्य-विनोद और कुछ नये टहोके
लहरों में लिए-दिए। अपनी-अपनी घातें
रहे ताकते। यों, भीतर-भीतर मन दो के
एक न...
तुम्हें सौंपता हूँ
फूल मेरे जीवन में आ रहे हैं
सौरभ से दसों दिशाएँ
भरी हुई हैं
मेरी जी विह्वल है
मैं किससे क्या कहूँ
आओ,
अच्छे आए समीर,
ज़रा ठहरो
फूल जो पसंद हों,...
आज मैं तुम्हारा हूँ
कल मेरे प्राणों में कोई रो रहा था। बाहर सब शान्त था। भीतर-भीतर भारी व्यथा भर गई थी। जी बड़ा उदास था। कौन-सी हवा...
धूप सुन्दर
धूप सुन्दर
धूप में
जग-रूप सुन्दर
सहज सुन्दर
व्योम निर्मल
दृश्य जितना
स्पृश्य जितना
भूमि का वैभव
तरंगित रूप सुन्दर
सहज सुन्दर
तरुण हरियाली
निराली शान शोभा
लाल पीले
और नीले
वर्ण वर्ण प्रसून सुन्दर
धूप सुन्दर
धूप में जग-रूप...
तुम्हें जब मैंने देखा
पहले पहल तुम्हें जब मैंने देखा
सोचा था
इससे पहले ही
सबसे पहले
क्यों न तुम्हीं को देखा!
अब तक
दृष्टि खोजती क्या थी,
कौन रूप, क्या रंग
देखने को उड़ती थी
ज्योति-पंख...
गाओ
मेरे उर के तार बजाकर जब जी चाहा
तुमने गाया गीत। मौन मैं सुनने वाला
कृपापात्र हूँ सदा तुम्हारा, चुनने वाला
स्वर-सुमनों का। भीड़ भरा है, जो...
स्नेह मेरे पास है
स्नेह मेरे पास है, लो स्नेह मुझसे लो!
चल अन्धेरे में न जीवन दीप ठुकराओ
साँस के संचित फलों को यों न बिखराओ
पत्थरों से बन्धु अपना सिर...
मैं तुम
'मैं' सबका मैं है
वैसे ही 'तुम' सबका तुम है
लेकिन मैं कहाँ हूँ
कहाँ हूँ मुझे जान लेना है
तुम मेरी परेशानी
अगर नहीं जानते तो तुम्हारी हानि...
हम दोनों हैं दुःखी
हम दोनो हैं दुःखी। पास ही नीरव बैठें,
बोलें नहीं, न छुएँ। समय चुपचाप बिताएँ,
अपने-अपने मन में भटक-भटककर पैठें
उस दुःख के सागर में, जिसके तीर...
दीवारें दीवारें दीवारें दीवारें
दीवारें दीवारें दीवारें दीवारें
चारों ओर खड़ी हैं। तुम चुपचाप खड़े हो
हाथ धरे छाती पर; मानो वहीं गड़े हो।
मुक्ति चाहते हो तो आओ धक्के मारें
और ढहा...
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
अपरिचित पास आओ!
आँखों में सशंक जिज्ञासा
मुक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
हिलो...
गद्य-वद्य कुछ लिखा करो
गद्य-वद्य कुछ लिखा करो। कविता में क्या है।
आलोचना जगेगी। आलोचक का दरजा –
मानो शेर जंगली सन्नाटे में गरजा
ऐसा कुछ है। लोग सहमते हैं। पाया...