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सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा
प्रस्तावना
पहला भाग:
जन्म
बचपन
बाल-विवाह
पतित्व
हाईस्कूल में
दुःखद प्रसंग - 1
यशपाल का ‘झूठा सच’
भारतीय स्वाधीनता संग्राम के एक क्रांतिकारी होने से लेकर हिन्दी लेखक बनने तक का सफर तय करने वाले यशपाल का उपन्यास 'झूठा सच' भारत...
कड़वा सत्य
एक लम्बी मेज़
दूसरी लम्बी मेज़
तीसरी लम्बी मेज़
दीवारों से सटी पारदर्शी शीशेवाली अलमारियाँ
मेज़ों के दोनों ओर बैठे हैं व्यक्ति
पुरुष-स्त्रियाँ
युवक-युवतियाँ
बूढ़े-बूढ़ियाँ
सब प्रसन्न हैं
कम-से-कम अभिनय उनका इंगित करता...
यशपाल – ‘झूठा सच’
यशपाल के उपन्यास 'झूठा सच' से उद्धरण | Quotes from 'Jhootha Sach' by Yashpal
"प्रेम और चुनाव में सब जायज़ है।"
"पुरुष स्त्री को चाहने लगे, यह...
झूठ बोलिए, सच बोलिए, खचाखच बोलिए
बोलिए
बोलना ज़रूरी है
सुनना, पढ़ना, समझना मूर्खों के लिए छोड़ दीजिए
सत्ता की शय से बोलिए
चढ़ गयी मय से बोलिए
'फ्रीडम ऑफ स्पीच' के लिए बोलिए
'अधिकतम आउटरीच'...
आख़री सच
वही है ज़िन्दा
गरजते बादल
सुलगते सूरज
छलकती नदियों के साथ है जो
ख़ुद अपने पैरों की धूप है जो
ख़ुद अपनी पलकों की रात है जो
बुज़ुर्ग सच्चाइयों की...