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Octavio Paz

दो जिस्म

'Two Bodies', a poem by Octavio Paz अनुवाद: पुनीत कुसुम दो जिस्म रूबरू कभी-कभी हैं दो लहरें और रात है महासागर दो जिस्म रूबरू कभी-कभी हैं दो पत्थर और रात रेगिस्तान...
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