Tag: Urdu Kavita
रस की अनोखी लहरें
"मैं ये चाहती हूँ कि दुनिया की आँखें मुझे देखती जाएँ यूँ देखती जाएँ जैसे
कोई पेड़ की नर्म टहनी को देखे
लचकती हुई नर्म टहनी को देखे.."
आख़िरी दुआ
आख़िरी दुआ माँगने को हूँ
आसमान पर, रात के सिवा, कुछ नहीं रहा
कौन मुट्ठियाँ, रेत से भरे
पानियों का रुख, शहर की तरफ़, अब नहीं रहा।
कितने...