Tag: Vandana Kapil

बिन मेरे

किसी की खनखनाती सी हँसी के शोर में किसी की सिसकियों को सुन सकोगे! तड़पती रात जब आकर के खड़ी होगी सिरहाने तो फ़िर कोई ख़्वाब अधूरा बुन सकोगे! चलो अब मान...
Woman, Rain, Leaf, Leaves

देखा है

मैंने देखा है ज्ञान का संवाद करते ग्रंथों की विक्षिप्तता, होश में चलते लोगों का सड़कों पर बेहोश हो जाना, बुझे चूल्हे पर सिकती रोटियाँ, उबलते पानी में रह जाना चावलों का अधपका, और देखा...
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