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Vidyaniwas Mishra

मेरे राम का मुकुट भीग रहा है

"सीता जंगल की सूखी लकड़ी बीनती हैं, जलाकर अँजोर करती हैं और जुड़वाँ बच्चों का मुँह निहारती हैं। दूध की तरह अपमान की ज्वाला में चित्त कूद पड़ने के लिए उफनता है और बच्चों की प्यारी और मासूम सूरत देखते ही उस पर पानी के छीटे पड़ जाते हैं.. उफान दब जाता है।"
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