Tag: Vijay ‘Gunjan’

Girl, Beggar, Hunger, Kid

सबसे ख़राब बोहनी

रतन की दुकान से 10 कटोरे एक साथ बिके.. वह खुश था और मंदिर भगवान के दर्शन के लिए गया.. वहाँ उसे कुछ ऐसा दिखा जिससे उसे लगने लगा कि उस सुबह उसकी बोहनी उतनी अच्छी न हुई होती तो बेहतर था..
Ganga, Banaras, Death, Cremation, Death Rituals

पेट की खातिर

उन दोनों के चेहरों पर उदासी थी। आपस में दोनों बहुत ही धीमी आवाज में बात कर रहे थे, पर क्या बात कर रहे...
Kitni Moong Dalenge - Vijay Gunjan

कितनी मूंग दलेगें आखिर, हम इस धरा की छाती पर?

'कितनी मूंग दलेगें आखिर?' - विजय 'गुंजन' कितनी मूंग दलेगें आखिर, हम इस धरा की छाती पर? अनियंत्रित आबादी के पांव तले वसुंधरा की छाती पर जंगलों में है...
Smoke, Industry, Pollution

धुआँ

कारखानों के धुएँ का रंग, काला होता है क्योंकि, उसमें लगा है खून, किसी मरी हुई तितली का, फूल का, शजर का धुआँ जो फैला हुआ है ज़मीन से...

विजय गुँजन के हाइकु

नदी के पाँव फिसलते जब भी डूबते गांव सो रही धूप किसी निर्जन वन बदल रूप बंटे बर्तन भाइयों के बीच में रोया आंगन शहर जला माचिसों पर दोष इन्सान चला किताबें शांत बैठी हैं अकेले में शब्द...
Auto

विजय ‘गुंजन’ की लघु कथाएँ

विजय 'गुंजन' की लघु कथाएँ 'खांसी और खामोशी' रात के ग्यारह बजे थे। रेल के स्लीपर क्लास के डिब्बे में एक बूढ़े व्यक्ति की खाँसी से...
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