Tag: Vijay Sharma
क़ब्ल-अज़-तारीख़
सुबह से माँ के घुटनों का दर्द तेज़ था। पिछली रात देसी बाम, गरम पानी और तेल का कोई ख़ास असर नहीं हुआ। इधर...
घोष बाबू और उनकी माँ
"हम यहाँ से निकलकर कहाँ जाएँगे?" — शिल्पा ने अनिमेष के कंधे पर सिर रक्खे कहा।
"जहाँ क़िस्मत ले जाए!" — अनिमेष की आवाज़ में...
अधूरी वसीयत
खैर! आधी रात को हम तीनों ने पापा की रूह को बुलाना तय किया। हमने इसके लिए अपना बेडरूम इस्तेमाल करने की ठानी, जिसकी वजह ये थी कि हुकूमत कम अज़ कम वहाँ हमें अपनी तरह से जीने की आज़ादी दे रही है।
हमने जैसे ही ओइजा बोर्ड पर कारगुजारी शुरू की कि बहुत जल्द घर के परदे हिलने लगे, हवाएँ चलने लगीं, जैसे कि किसी फ्लॉप बॉलीवुड फिल्म का मंज़र हो। जब सब शांत हुआ तो बीवी ने बहुत धीमी आवाज़ में पूछा-
"आप सब यहाँ कितने हैं?"
"मैं अकेली ही हूँ मेम साहेब.. सब काम अकेली ही कर देगी मैं।"
शायद कोई ग़लत रूह कमरे में आ गई थी।
मुहब्बत की दलील
'Muhabbat Ki Daleel', a poem by Vijay Sharma
क़ैस ने इश्क़ किया
पर शायरी नहीं
उसने लैला की बातें
हवाओं से, बगूलों से, दरख़्तों से और बेलों से,...
हमने ज़ख्म ख़ुद बनाया
मुआफ़ करने की रस्म ख़त्म हुई तो
मुआफ़ी माँगने का सिलसिला भी
फिर हमें
अपनी दोस्ती की बुनियाद बचाने के लिये
इलज़ाम की बुनियाद डालनी पड़ी
जिसपर क़ायम हुए
दलाइल,
अदालत,
गवाह...
दुःख का एक महल
दुःख का एक महल
एक आलिशान महल
जिसमें मैं कभी भिश्ती हूँ
तो कभी दरवान
मैंने आज तक महल के राजा को नहीं देखा
केवल उसके आगे पानी भरा...
मेरे मरने के बाद
"दो नाम कभी भी अक्सर एक साथ इस सबब से आते हैं कि वो मिसाल बन सकें.. मसलन लैला-मजनूँ, शंकर-जयकिशन, चाय-पकौड़ा, हिन्दू-मुस्लिम... हिन्दू-मुस्लिम वाकई, इन दोनों कौमों ने एक दूसरे की शान में ऐसे-ऐसे कारनामे किये कि दुनिया के बड़े से बड़े फ़लसफ़े फ़ेल हो गये और मिसाल बन गये. कैसे मिसाल बने ये आज भी कभी कभार नज़र से गुज़र ही जाता है..."
वो
"कभी वह सोचता कि दुनिया की सारी लड़कियाँ उसकी बीवियाँ हैं और वह हर एक को छोड़ चुका है। एक दफ़ा एक कब्रिस्तान में उसने छुप कर किसी जवान लड़की को दफ़न होते देखा था। लड़की के हाथ पर कटे का निशान था। वह लड़की उसे आज तक की सबसे ख़ूबसूरत लड़की लगी। उसे यक़ीन हो गया कि उसकी महबूबा मर चुकी है। वह अक्सर उस लड़की की क़ब्र पर जाया करता। पर जल्द ही उसी क़ब्र के आसपास एक अधेड़ उम्र के आदमी को दफ़न होते देखा। इसके बाद उसका मन इस बात से मायूस हो गया कि ज़मीन के नीचे ये आदमी उसकी महबूबा को छुएगा।"