Tag: Vijendra

Vijendra

कवि

मेरे लिए कविता रचने का कोई ख़ास क्षण नहीं। मैं कोई गौरय्या नहीं जो सूर्योदय और सूर्यास्त पर घौंसले के लिए चहचहाना शुरू कर दूँ। समय ही ऐसा है कि मैं...
Vijendra

कहाँ हो तुम

मृत्यु का भय ईश्‍वर के भय को सींचता रहता है ओ मेरे कवि प्रार्थनाएँ करते-करते सदियों के पंख झड़ चुके हैं ऋतुचक्रों पर फफूँद बैठी है ईश्‍वर ग़रीबों की तरफ़...
Vijendra

कामना

मैंने हर ढलती साँझ के समय सदा सूर्योदय की कामना की है जब सब छोड़कर चले गए वृक्ष मेरे मित्र बने रहे खुली हवा... निरभ्र आकाश में साँस लेता...
Yellow Flower, Offering, Sorry, Apology

वहाँ देखने को क्या था

मैं उन इलाक़ों में गया जहाँ मकान चुप थे उनके ख़ालीपन को धूप उजला रही थी हवा शान्त, मन्थर— अपने डैने चोंच से काढ़ने को बेचैन थी लोग जा चुके हैं उन्हें कुछ...
Love, Couple, Separation

धातुओं का गलता सच

हमारा प्यार— सफ़ेद बादल नहीं जिसे हवा चाहे जिधर उड़ा ले जाए, अब वह धातुओं में गलता सच है जिसकी बंदिशें वक़्त के सीने पर उभरी दिखती हैं जैसे रेत में सफ़ेद...
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