Tag: Vikas Mahto

मैं अब भी खड़ा हूँ

आकाश अगर ख़्वाब था ज़मीन अगर ज़िम्मेदारी थी तो सामने सिर्फ़ तुम थीं न तो मैं उड़ सका न तो मैं चल सका मैं सिर्फ़ खड़ा रहा और सामने सिर्फ़ सामने देखता रहा मैं सामने देखता रहा तब तक जब तक कि एक रेत की ग़ुबार न उठी और सबकुछ शांत न हो गया फिर...
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