Tag: Village
जिस दिशा में मेरा भोला गाँव है
क्या बारिश के दिनों धोरों पर गड्डमड्ड होते हैं बच्चे
क्या औरतों के ओढ़नों से झाँकता है गाँव
क्या बुज़ुर्गों की आँखों में बचा है काजल
क्या स्लेट...
मचलें पाँव
मचलें पाँव
कह रहे मन से
आ चलें गाँव।
कहता मन
गाँव रहे न गाँव
केवल भ्रम।
ली करवट
शहरीकरण ने
गाँव लापता।
मेले न ठेले
न ख़ुशियों के रेले
गर्म हवाएँ।
वृक्ष न छाँव
नंगी पगडंडियाँ
जलाएँ...
दिहाड़ी मज़दूर
मेरे गाँव में एक व्यक्ति के
कई रूप थे
वो खेतों में बोता था
बादल
और सबकी थालियों में
फ़सल उगाता था
वो शादियों में
बन जाता था पनहारा,
चीरता था लकड़ी
मरणों...
काली-काली घटा देखकर
काली-काली घटा देखकर
जी ललचाता है,
लौट चलो घर पंछी
जोड़ा ताल बुलाता है।
सोंधी-सोंधी
गंध खेत की
हवा बाँटती है,
सीधी-सादी राह
बीच से
नदी काटती है,
गहराता है रंग और
मौसम लहराता है।
लौट...
गाँव को विदा कह देना आसान नहीं है
मेरे गाँव! जा रहा हूँ दूर-दिसावर
छाले से उपने थोथे धान की तरह
तेरी गोद में सिर रख नहीं रोऊँगा
जैसे नहीं रोए थे दादा
दादी के गहने गिरवी...
राकेश मिश्र की कविताएँ
सन्नाटा
हवावों का सनन् सनन्
ऊँग ऊँग शोर
दरअसल एक डरावने सन्नाटे का
शोर होता है,
ढेरों कुसिर्यों के बीच बैठा
अकेला आदमी
झुण्ड से बिछड़ा
अकेला पशु
आसानी से महसूस कर सकता...
मैं गाँव गया था
मैं अभी गाँव गया था
केवल यह देखने
कि घर वाले बदल गए हैं
या
अभी तक यह सोचते हैं
कि मैं बड़ा आदमी बनकर लौटूँगा।
रास्ते में सागौन पीले...
कमल सिंह सुल्ताना की कविताएँ
आक का दोना
खेत में बने झोंपड़े के पास
आकड़े की छाँव में
निहारता हुआ फ़सल को
मैं बैठा रहता हूँ देर तक अकेला
कुछ ही समय पश्चात
देखता हूँ कि
हुकमिंग...
केशर जाटणी
केशर जाटणी गुलाबी रंग का बूटेदार ओढ़ना
छींट का घेरदार घाघरा पहनकर
बांधकर सिर पर सोने का सात-भरी बोरला
आँखों में काजल या सुरमा भरकर
लेकर हाथों में...
कुमार मंगलम की कविताएँ
रात के आठ बजे
मैं सो रहा था उस वक़्त
बहुत बेहिसाब आदमी हूँ
सोने-जगने-खाने-पीने
का कोई नियत वक़्त नहीं है
ना ही वक़्त के अनुशासन में रहा हूँ कभी
मैं सो...
‘जीवन के दिन’ से कविताएँ
कविता संग्रह: 'जीवन के दिन' - प्रभात
चयन व प्रस्तुति: अमर दलपुरा
याद
मैं ज़मीन पर लेटा हुआ हूँ
पर बबूल का पेड़ नहीं है यहाँ
मुझे उसकी याद...
गाँव में गुंवारणी का आना
बेमौसम की तरह सिर पर गठरी लिए
चली आती है गाँव में गुंवारणी
जैसे बेमौसम आती हैं आँधियाँ
जैसे बेमौसम गिरती है बर्फ़
जैसे बेमौसम होती है बारिश
जैसे...