Tag: Village
ओम नागर की कविताएँ
प्रस्तुति: विजय राही
पिता की वर्णमाला
पिता के लिए काला अक्षर भैंस बराबर।
पिता नहीं गए कभी स्कूल
जो सीख पाते दुनिया की वर्णमाला।
पिता ने कभी नहीं किया
काली...
जिस दिन मैंने गाँव को अलविदा कहा
जिस दिन मैंने गाँव को अलविदा कहा
उस दिन मेरा बेटा
खेल रहा था
केदारनाथ सिंह की कविताओं के साथ
और कविताएँ
गालों पर चिकोटियाँ काटती हुईं
तितली की तरह...
शहर से गुज़रते हुए प्रेम, कविता पढ़ना, बेबसी
शहर से गुज़रते हुए प्रेम
मैं जब-जब शहर से गुज़रता हूँ
सोचता हूँ
किसने बसाए होंगे शहर?
शायद गाँवों से भागे
प्रेमियों ने शहर बसाए होंगे
ये वो अभागे थे,
जो फिर लौटना...
जीवन का दृश्य
गाँव में चाँद
नीम के ऊपर से
पीपल के पत्ते जैसा
पहाड़ों के पार चमकता है,
बच्चे गेंद जैसी आँखों से
चाँद का गोल होना देखते हैं
और दादी की...
संदीप पारीक ‘निर्भय’ की कविताएँ
गंगा में छोड़कर आऊँगी
उन दिनों मैं कोलकाता था
जिन दिनों
रामू काको क़र्ज़ के मारे
खेत की झोंपड़ी में
ज़हर पीकर
कर ली थी आत्महत्या
उन दिनों मैं आसाम था
जिन दिनों
गली में...
आख़िरी गाँव
'Aakhiri Gaon', a poem by Rahul Meena
किसी ने पूछा मुझसे
कि मानव का सफ़र कितना है
मैंने जवाब दिया-
शून्य से शुरू होकर शून्य में समाहित हो...
मिल-बाँटकर
घर से चलते वक़्त पोटली में
गुड़, सत्तू, चबैना रख दिया था माँ ने
और जाने क्या-क्या,
ठसाठस रेलगाड़ी में देर तक खड़े-खड़े
भूख लगने लगी तो पोटली खोली
जिसके...
ख़ाली गाँव
'Khali Gaon', Hindi Kavita by Yogesh Dhyani
पहले वो बोता है थोड़ी घास
हल्के हरे रंग से
फिर एक पतली सड़क के दोनों ओर
उकेर देता है खेत
खेतों...
अन्त-आरम्भ
'Ant-Aarambh', a poem by Niki Pushkar
दुनिया गोल है
हर अन्त के पश्चात आरम्भ है
इस वृत्ताकार पथ पर चलते हुए
हमें लौटना ही होगा फिर वहीं,
जहाँ से...
गाँव
'Gaon', a poem by Sudama Pandey Dhoomil
मूत और गोबर की सारी गंध उठाए
हवा बैल के सूजे कंधे से टकराए
खाल उतारी हुई भेड़-सी
पसरी छाया नीम...
एक कटोरी साग
"रेणु को एक नई बात भी पता चली कि उसने देखा कि नानी एक कटोरी साग भरकर बिमला नानी (पड़ोसन) के घर देने जा रही है। जब नानी वापस आई तो उनके हाथ में दूसरी कटोरी थी जिसमें तोरी का साग था। आकर नानी ने बताया कि बेट्टी यहाँ तो यो सब चालता रहवै सै, कदै वा साग दे जा तो कदे हम दे आवै।"
गाँव गया था, गाँव से भागा
गाँव गया था
गाँव से भागा।
रामराज का हाल देखकर
पंचायत की चाल देखकर
आँगन में दीवाल देखकर
सिर पर आती डाल देखकर
नदी का पानी लाल देखकर
और आँख में...