Tag: Viney Lohchab

मुक़म्मल प्रेम

जैसे शिल्पकार छाप छोड़ देते है बेजान दीवारों पर जैसे पहली बारिश कर देती है नशे में पूरे जंगल को जैसे साम्राज्यों की कहानी बयाँ कर...

मेरे ख़्वाब

मेरे ख़्वाब ही मेरा सब कुछ हैं जिनमें मैं कभी किसी झील पर उतरती पेड़ियों की आख़िरी सीढ़ी पर बैठकर बहते पानी की धुन में...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)