Tag: Violence
सफ़ेद रात
पुराने शहर की इस छत पर
पूरे चाँद की रात
याद आ रही है वर्षों पहले की
जंगल की एक रात
जब चाँद के नीचे
जंगल पुकार रहे थे...
शान्ति के विरुद्ध एक कविता
सदियों से
बोलते आदमी को
चुप कराने की साज़िश है शान्ति।
हर निर्माण
हिंसा से जुड़ा है
चाहे वह बाड़ हो सुरक्षा की
या प्रतिरक्षा के लिए
तनी बन्दूक़।
अगला क़दम
जब भी...
ऐसा सोचना ठीक नहीं
शेर-चीता नहीं,
मनुष्य एक हिंसक प्राणी है।
हिंसा का बहाना चाहिए अहिंसा को
ईश्वर का बहाना,
सबसे ज़्यादा ख़ून बहाने वाला है
सबसे ज़्यादा पवित्र बहाना।
इसे नकारने का मानुष बहुत कम...